मागाठाणे लेणी मुंबई के बोरीवली उपनगर में स्थित है। बोरीवली स्टेशन के पूर्व में, पश्चिम एक्सप्रेस-वे की ओर जाने वाली एक सड़क दत्तपाडा गेट से होकर गुजरती है। इस दत्तपाडा फाटक मार्ग से आते हुए, टाटा स्टील के ठीक सामने स्थित बस्ती में मागाठाणे की अत्यंत महत्वपूर्ण बौद्ध लेणीयों को देखा जा सकता है।
कान्हेरी लेणी (बोरीवली, मुंबई) संख्या 21 के शिलालेख में वर्णित इलाका यही का है। इसमें उल्लेख है कि –
“यहाँ के पास मग्गठाणे की अध:पन खेत भूमि को कल्याण के एक व्यापारी अपरेणुका द्वारा कान्हागिरी के इस बौद्ध भिक्षु संघ को दान कर दी गई थी और इससे होने वाली आय का उपयोग इस भिक्खुस संघ के निर्वाह के लिए किया जाना चाहिए“।
आज बौद्ध लेणीया अभी भी मागाठाणे में मौजूद हैं। इसमें मग्गठाणे का अर्थ वर्तमान मागाठाणे होना चाहिए. ये लेणी छठी या सातवीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की उत्पत्ति की ओर इशारा कराती हैं।


यह बौद्ध लेणीया छोटी हैं और जीर्ण हो चुकी हैं, और इसी कारण इस पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। यह लेणी का जमीनी स्तर ऊपर है और लेणी नीचे है, यह लेणी एक मध्यम आकार की है, जो आगे और पीछे खुली हुई है, और प्रत्येक तरफ दो दरवाजे हैं जो कई छोटे अंधेरे कमरों की ओर ले जाते हैं, इसकी छत नीची, सपाट है, और खंभों के सहारे है जो न तो अपने आयामों में इतनी अच्छी तरह से आनुपातिक हैं, और न ही उनके कई हिस्सों अच्छी तरहे से खुदाई की गई है। जिसमें एक प्रार्थना कक्ष और एक मठ है।
मुख्य शैलगृह के हॉल के पीछे ज्ञान मुद्रा में बैठे बुद्ध की एक बड़ी आकृति है, और उनके कंधों के ऊपर उसी मुद्रा में अन्य छोटे चित्र हैं। इस गुफा की दीवारों पर नागो के आकृतियों के साथ कमल के सिंहासन पर बुद्ध की कई आकृतियों तराशी गयी है . इनमें से एक दीवार पर बैठे हुए बुद्ध की एक बड़ी आकृति है. इसके धनुषाकार प्रवेश द्वार पर दो मकर सिरों के बीच एक रेखा तोरण से सजावट की गई है, यह सजावट साइड की दीवारों के साथ दाएं और बाए ओर तक है, और इसमें से एक पैनल के बेस-रिलीफ में एक स्तूप है जिसके बगल में दो पूजा करने वालो की आकृति हैं। यह स्तंभ ६ नंबर की अजंता लेणी के शैली जैसी हैं।
यहाँ पर मध्य भाग में सभागृह जैसा २५/६ फुट का क्षेत्र है। इसके पूर्व की ओर बालकनी है वह के स्तंभ पर डबल क्रिसेंट पद्धती से अलंकरण है। दये ओर लेणी का मुख्य प्रवेशद्वार है और वह दो बड़े पानी के कुंड थे, और ऊपर पत्थर से ढके थे। अंदर के चैत्य में छह से सात खंभों पर शंख के आकार की संरचना है और उस पर ज्यादा अलंकरण नहीं है।
यह चैत्य एक बड़ा चौकोर आकार का है जिसमें दोनों तरफ बैठने के लिए बेंच है। सामने की दीवार के एक तरफ गौतम बुद्ध की एक बड़ी मूर्ति देखी जा सकती है। यहां पद्मासन में बैठे बुद्ध दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति का मध्य भाग गिरा है। इस विशाल बुद्ध मूर्ति के दोनों ओर अवलोकितेश्वर की एक मूर्ति थी, जिसके हाथ में एक बड़ा कमल का फूल था। वह अब धुंधली लग रही है। इस बुद्ध प्रतिमा के दूसरी ओर धर्मचक्र मुद्रा में ध्यान बुद्ध की पाँच छोटी-छोटी मूर्तियाँ हैं
यहां के तोरण की कलाकृति अद्भुत है और इस पर शानदार नक्काशी की गई है। हाथी, मकर, उड़ती हुई अप्सराओं को इस पर खूबसूरती से उकेरा गया है। यह कलाकृति वेरुली में विश्वकर्मा गुफाओं के समानांतर है

यह लेणीया आज भी बाहर से दिखाई नहीं देती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि जहां पहले घनी हरी-भरी झाड़ियाँ थी, आज वहां बड़े पैमाने पर झोंपडि़यां खड़ी कर दी गई हैं। लेणीयों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। कुछ लेणीयों को सीमेंट से सील कर दिया गया है और वहां लोहे की ग्रिल की खिड़कियां लगाई गई हैं। कुछ समय पहले तक इन लेणीयों के चैत्य क्षेत्र में एक परिवार रहता था। इस चैत्य में वेरुल लेनी के जैसा नक्काशी काम किया हुआ तोरण का हिस्सा अभी भी अच्छी स्थिति में है। हालाँकि बुद्ध की मूर्ति बहुत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, लेकिन इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि यह वहाँ थी।
कैसे पहुंचा जाये:
राजवाडा बौद्ध लेणी खिरेश्वर, खुबी फटा, मालसेज घाट रोड से नजदीक है।
रेल – बोरीवली स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है
वायु – मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
सड़क मार्ग – बोरीवली से लेणी तक आसानी से बाइक और बसें से आ सकते हैं।
नक्शा:
Reference –
1. Cave Temple of India
2. Transactions of the Literary Society of Bombay with Engravings Vol. I
Photo Courtesy – All black and white photographs of Magathane Caves taken by renowned archaeologist Walter Spink during the 1950s-60s from the Center for Art and Archeology Photo Archive of the American Institute of Indian Studies.
https://vmis.in/ArchiveCategories/gallery/page:104?search=walter+spink

Committed to research & conservation of Buddhist monuments that have a historical heritage of India.